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बेसन की बूंदी - हनुमानजी का प्रसाद

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नमस्ते भारत, आज फिर से हाज़िर है आप का ब्लॉगर दोस्त एक और रोचक तथ्य ले कर। यह भगवान और खाने के रिश्ते को ले कर है। इससे पहले भी दो ब्लॉग लिख चुका हूँ यह तीसरा है। में बचपन से हनुमानजी के मंदिर मे जाता हूँ। पिछले मंगलवार भी गया था। मंदिर मे हनुमानजी के दर्शन कर बूंदी का प्रसाद ले कर मंदिर की सीढ़ियों पर जा कर बैठ गया, मंदिर की सीढियों पर बैठ कर जो सुकून मिलता है उसका आनंद अलग ही है। वहा कुछ बच्चे खेल रहे थे और कुछ प्रसाद खा रहे थे प्रसाद खाते बच्चों को देख मुझे मेरा बचपन याद आगया। मेरा बचपन सयुक्‍त परिवार में बीता है, मेरे ताऊजी मतलब बड़े पापा का हनुमानजी से कुछ खास रिश्ता है। वो हर मंगलवार हम सब भाई बहनों को अपने साथ हनुमानजी के मंदिर ले जाते थे। मेरे मंदिर जाने के सिर्फ दो ही कारण थे पहला बड़े पापा साथ उनकी बाइक तब उनके पास राजदूत गाड़ी हुआ करती थी, उसपे बैठने मिलता था और दूसरा और खास कारण मंदिर मे प्रसाद मिलता था बूंदी का जो मुझे बहुत पसंद था। गरमा गरम बूंदी खाने का मज़ा ही अलग है और साथ मे थोड़ी नमकीन मिल जाए तो मजा दोगुना हो जाता है , इसलिए मे मंदिर में तो प्रसाद खाता ही था, पर ...